Wednesday, January 22, 2025
HomePolitical Newsराजस्थान के रण में फंसी भाजपा

राजस्थान के रण में फंसी भाजपा

Date:

Related stories

The Chola Dynasty: Temples, Treasures, and Global Trade

The Chola Dynasty, one of the most powerful empires...

Lijjat Papad: How a Home-Made Snack Empowered 45,000 Indian Women

A humble snack has transformed the lives of over...

“4 Workers Die in Toxic Gas Leak at Gujarat Chemical Plant”

Four workers tragically lost their lives after inhaling toxic...
spot_imgspot_img

राजस्थान की सियासत में मची भूचाल में भाजपा सीधे तौर पर तब तक नहीं उतरेगी जब तक वह खुद को सरकार बनाने लायक स्थिति में नहीं पाती है. कांग्रेस में फूट की स्पष्ट रेखा पड़ने के बाद भी गहलोत सरकार को अल्पमत में लाने लायक संख्या भाजपा के पास नहीं है, लिहाजा पार्टी अदालती फरमान, राज्यपाल और स्पीकर के रुख को देखने के लिए बाध्य है. यही वजह है कि पार्टी खुद से आगे बढ़ते हुए गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए आगे नहीं बढ़ रही है.

राजस्थान विधानसभा में 200 सदस्य हैं. साधारण बहुमत के लिए 101 सदस्यों की जरूरत है. फूट से पहले कांग्रेस के पास अपने 107 विधायक थे. इसके अलावा 13 निर्दलीय, भारतीय ट्राइबल पार्टी के 2, सीपीआइ (एम) के 2, राष्ट्रीय लोकदल के 1 विधायकों का समर्थन भी गहलोत को है. और कुल मिलाकर आंकड़ा 125 विधायकों का है. जबकि भाजपा के 72 और सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के 3 विधायकों को मिलाकर भाजपा के पास 75 विधायक हैं. सचिन पायलट और उनके समर्थक 18 विधायकों के बगावत के बाद कांग्रेस की अपनी ताकत 107 से घटकर 88 रह गई है साथ ही 13 निर्दलीय, 2 भारतीय ट्राइबल पार्टी, 2 सीपीआइ (एम) तथा एक राष्ट्रीय लोकदल के विधायकों को मिला दिया जाए तो गहलोत के पास 106 विधायकों का समर्थन है.

यदि सचिन पायलट गुट के विधायकों को वोट देने के योग्य माना गया और वह सरकार के खिलाफ वोट डालते हैं तो भी सरकार के खिलाफ भाजपा सहित सिर्फ 94 वोट पड़ेंगे. चुनाव के बाद बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर चुने गए 6 विधायक कांग्रेस में मिल गए और बीएसपी ने इन विधायकों को व्हीप जारी कर सरकार के खिलाफ वोट देने को कहा है. ऐसे में यदि ये विधायक भी सरकार के खिलाफ वोट डालते हैं तो भाजपा 100 वोट सरकार के खिलाफ डालवा कर सरकार को गिरा सकती है क्योंकि कांग्रेस और समर्थकों को मिलाकर सिर्फ 98 वोट होंगे. यदि स्पीकर को भी वोट करना पड़ा तो भी कांग्रेस को सिर्फ 99 वोट ही मिलेंगे. लेकिन यह स्थिति तभी हो सकती है जब बसपा से कांग्रेस में गए विधायक सरकार के खिलाफ वोट डालते हैं. कुल मिलाकर भाजपा अपने और सहयोगी दलों तथा सचिन पायलट गुट के दम पर सरकार गिराने की स्थिति में नहीं है. यदि वोटिंग से पहले पायलट गुट के लोगों को अयोग्य करार दे दिया जाता है तो ऐसी स्थिति में हाउस का स्ट्रेंथ 200 से घटकर 181 हो जाएगी और तब बहुमत के लिए सिर्फ 92 वोट की जरूरत होगी जिससे कांग्रेस को कोई दिक्कत नहीं होगी.

अंकगणित के इस भंवर में भाजपा फंस गई है. भाजपा जानती है कि यदि गहलोत विश्वास प्रस्ताव लाते हैं या फिर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है तो दोनों ही स्थिति में सरकार बचना तय है. हां, भाजपा के लिए सुकून की बात सिर्फ इतनी होगी कि गहलोत के पास बहुमत का आंकड़ा सिकुड़ जाएगा जिस पर भाजपा भावी खेल कर सकती है. लेकिन यह इतना आसान भी नहीं होगा. पायलट समर्थक विधायक जब अयोग्य घोषित होंगे तो उप-चुनाव में भाजपा के लिए बहुत स्कोप नहीं होगा क्योंकि पायलट समर्थक अभी तक यह नहीं तय कर पाए हैं कि वे भाजपा में शामिल होंगे या नहीं. दूसरी बात, गहलोत के कद को लेकर भी है. गहलोत राजनीति के मंझे खिलाड़ी हैं. चूंकि राजस्थान में भाजपा में खुद में अंदरुनी खेमेबाजी कम नहीं है ऐसे में गहलोत भी भाजपा विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर सकते हैं. भाजपा के लिए एक दिक्कत यह भी है कि जैसे मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को भाजपा ने सरकार बनान के लिए फ्री हैंड दिया था वैसा राजस्थान में वसुंधरा को नहीं दिया गया है, और वसुंधरा इन सियासी गतिविधियों में हाथ डालना नहीं चाह रही हैं.

Subscribe

- Never miss a story with notifications

- Gain full access to our premium content

- Browse free from up to 5 devices at once

Latest stories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here