Wednesday, October 23, 2024
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कोरोनावायरस: देश की इकॉनमी को लेकर पूर्व PM मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार को दिए 3 टिप्स

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सरकार ने अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए बाजार में पैसे डाले हैं और कई उद्योगों को आर्थिक सहायता दे रही है, लेकिन  पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का कहना है कि सरकार को अगले कुछ सालों को संभालने के लिए बड़े कदम उठाने होंगे.

कोरोनावायरस महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है. महामारी के शुरू होने के पहले ही देश के कई सेक्टर, जैसे- ऑटो सेक्टर, टेलीकॉम सेक्टर और NBFCs मुश्किल से गुजर रहे थे, लेकिन अब महामारी के बाद यह समस्या आम जनता के रोजगार और आर्थिक क्षमता को प्रभावित करने के स्तर तक गहरा गई है. सरकार ने अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए बाजार में पैसे डाले हैं और कई उद्योगों को आर्थिक सहायता दे रही है, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का कहना है कि सरकार को अगले कुछ सालों तक अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए बड़े कदम उठाने होंगे.

पूर्व प्रधानमंत्री ने BBC के साथ बातचीत में सरकार के लिए तीन बड़े कदम उठाने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा है कि  सरकार को जो सबसे पहला काम करना चाहिए, वो ये सुनिश्चित करना चाहिए कि लोगों की आजीविका सुरक्षित रहे और उनको प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक सहायता देकर उनके खर्च करने की क्षमता को बनाए रखा जाए.

उनका दूसरा सुझाव यह है कि सरकार को सरकारी क्रेडिट गारंटी कार्यक्रमों के जरिए व्यापार और उद्योगों को पर्याप्त पूंजी उपलब्ध कराना चाहिए. उन्होंने कहा कि तीसरा काम यह करना होगा कि उसे फाइनेंशियल सेक्टर में संस्थागत स्वायत्तता और प्रक्रियाओं के जरिए सुधार लाना होगा. मनमोहन सिंह ने कहा कि वो इसे इकॉनमिक डिप्रेशन नहीं कहेंगे, ‘लेकिन देश में एक लंबे समय से एक गहरा आर्थिक संकट आना निश्चित था.’

बता दें कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी कहा है कि कोविड-19 के चलते घरेलू अर्थव्यवस्था की हालत और खराब हो सकती है. बीते गुरुवार को मॉनेटरी पॉलिसी की घोषणा के दौरान गवर्नर शक्तिकांत दास ने आशंका जताई थी कि कोविड-19 महामारी का संक्रमण लंबे समय तक खिंचा तो उससे घरेलू अर्थव्यवस्था की हालत और पतली हो सकती है. उन्होंने कहा था कि ‘महामारी पर पहले काबू पा लिया गया तो उसका अर्थव्यवस्था पर ‘अनुकूल’ प्रभाव पड़ेगा. इसके ज्यादा लंबा खिंचने, मानसून सामान्य रहने का अनुमान सही न निकलने और वैश्विक वित्तीय बाजार में उठा-पटक बढ़ने की स्थिति में घरेलू अर्थव्यवस्था पर ‘बुरा प्रभाव’ पड़ सकता है.’

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